यह तस्वीर मैंने दिल्ली के आरके. पुरम के ट्रैफिक लाइट के पास से लिया। जब खिंच रहा था ,तो ये बच्चे अपने साथ वाले को कैमरे में देखने बोल रहा था। इसे पता था, मोबाइल में क्यों देखना है।लेकिन,मुझे सोचने पर मजबूर कर रहा था, इतने तेजी से आते-जाते गाड़ियों के बीच मासूम को कोई डर नहीं है।समाज की सच्चाई यही है कि भूख के आगे डर कुछ नहीं होता है। कुछ देर समय देने पर तीन बच्चों के टोली में से एक थोड़ा होशियार था, पैसे मांगने शुरू कर दिया।मैं भी अभी फिलहाल घर वालों से माँगता हूँ, इसलिए अपने पॉकेट के बचत से कुछ पैसे दे दिए। जिंदगी के थपेड़ों से हमारे जैसे आम इंसान परेशान हो जाता है। लेकिन,ये बच्चे को देखकर थोड़ा अपने आप को समझाना पड़ता है।
#InternationalWomensDayनौंटकी समाज पर एक लेख,उस समाज का हिस्सा मैं भी हूँ .पर थोड़ा सा.✏️✏️💃💃
“गरीबों के पास अपना कुछ खोने के लिए जमीर और इज्जत ही होता है। वह भी कोई छीन ले उसे कितना दुख होगा।”
बहुत हद तक हम सभी देखते आए हैं ,पुरुष ही स्त्री के प्रति आकर्षित होते हैं।पुरुषों में स्त्री के प्रति प्रेम स्वाभाविक होता है ।यह स्त्री प्रेम सिर्फ एक ही सच्चा प्रेम है “मां का बेटे से बेटे से मां का” । बाकी सभी स्त्री प्रेम पुरुष और स्त्री को लेकर स्वार्थ में है।
हम औरतों को बदन में कैसा-कैसा टाइम पास होता है “साला” । पहले ये निकलता है (चेस्ट ) फिर धीरे-धीरे बड़ा हो जाता है, नीचे से खून। लोग ऐसे ऊपर ,आगे पीछे -नीचे घूमता रहता है, हर टाइम ऐसे आँख गड़ा के रखता है, अभी फटेगा कपड़ा ,अभी दिखेगा जन्नत ।
एक सवाल हमेशा मौजूद है, सबसे बड़ा पाप क्या है।लोगों का जवाब अलग-अलग है ,जैसे कई मानते हैं किसी दूसरे व्यक्ति के स्त्री की चाह रखना, पाप है।परंतु यह एक पाप नहीं महापाप है ।लेकिन “गरीबी” वर्तमान दुनिया में सबसे बड़ा पाप है।
भारत और चीन के संबंध बिगड़ते जा रहे हैं।चीन की सैन्य आक्रामकता चिंता का विषय है। व्यापरिक संबंध उथल-पुथल के भी बीच बना हुआ है।गलवान घाटी ,अरुणाचल प्रदेश की सीमा ,और हिंद -प्रशांत क्षेत्र में विवाद होकर संघर्ष में बदल सकते हैं। नौसेना प्रमुख आर हरि कुमार ने आशंका जताई है। ये क्षेत्र अनियंत्रित हो सकते हैं। यह क्षेत्र वैश्विक व्यापार का केंद्र है। यहां उत्तर-पुथल से शांति और स्थिरता बिगड़ सकती है।
व्यक्ति जिंदगी में सब सुखों की कल्पना करता है।यह सुख प्राप्त होते हैं ,उनके काम द्वारा प्राप्त पैसे से।पैसा और काम का संबंध प्रेम का है।जितना व्यक्ति अपने काम से प्रेम करता है। उतना वह पैसे अर्जित करता है।हां आप कहेंगे मजदूर धनवान क्यों नहीं हो जाते? यह प्रश्न में हीं उत्तर है यानि की योग्यता के अनुसार धन की वृद्धि होती है।एक मजदूर भी काम से प्रेम करते हुए अपने धन में वृद्धि करता है।काम का चयन हीं व्यक्ति की जिंदगी के सुखों की सार है। जब काम का चयन करना हो तो हम दो तरह से करते हैं। एक किसी के प्रभाव में दूसरे जिंदगी की स्थिति के दबाव में ,काम का चयन प्रभाव में हो तो आनंद आता है। परंतु दबाव में हो तो थोड़ी चिढ़ होती है।
बचपन से जवानी तक सब कुछ ठीक ही लगता है। जब आप किशोरावस्था में होते हैं ,तो क्रांतिकारी और प्रेमी होते हैं। यह अवस्था गांव के लहजे में चढ़ती जवानी है। यानी ,क्रांतिकारी को बिगड़ा हुआ और प्रेमी को लफंगा कह देते हैं। सच कहें तो जीने का मजा तो यही चढ़ती जवानी हीं है।जिसमें आप सब कुछ बदल देना चाहते हैं।एक क्रांतिकारी की तरह। सब कुछ पाना चाहते हैं, एक प्रेमी की तरह।
वजह कोई भी हो जिंदगी में गुस्सा निदान नहीं है।जिंदगी में उथल-पुथल होना स्वाभाविक है।यह आपके अंदर चिढ़(नारजगी) पैदा करता है,और ये गुस्सा में व्यक्त हो जाता है।जो आपके अंदर के कुछ पोषक तत्व की तरह कमी को बताता है।
हम पुरुष के रूप होस संभालते हैं ,तभी अपने घरों में देखने लगते हैं ,माँ हमारे लिए, पिता जी के लिए बहन भी हमारे लिए ,अपने पति के लिए व्रत कर रही है।परंतु पिता जी कोई व्रत माँ के लिए नहीं करते, बेशक मां को बहुत प्यार करते हैं। उनके सुख-दुख में साथ देते हैं। हम भी बच्चे से बड़े हो जाते हैं ,कभी भी अपने माँ,बहन, पत्नी के लिए कोई व्रत नहीं करते हैं।
अक्टूबर का महीना गर्मी को अलविदा कहना शुरू कर देता है। सर्दी की दस्तक से कूलर, पंखों को आराम मिल जाता है , प्राकृतिक रूप से सर्दी के मौसम की खूबसूरती वसंत से कम नहीं होती।आप देखेंगे जहां व्यक्तिगत स्वभाव में बदलाव होता है।वहीं भारतीय बाजार भी खूबसूरत हो जाते हैं।गाँव के खेत -खलिहान की फसलों पर छोटे-छोटे शीत की बूंदे मन मोह लेती है।
इजराइल और हमास के बीच युद्व के पन्द्रह दिन हो चुके हैं। ये युद्ध 56 वर्षों से चला आ रहा है। सयुंक्त राष्ट्र और अंग्रेजों के समर्थन से 1948 में इजराइल का जन्म हुआ। इधर फिलिस्तीन के सहयोग से हमास का 1987 में उदय हुआ। ये जमीन ,जाति ,धर्म की लड़ाई, मानवता से परे जा चुकी है।
लव का संग्रहालय
विजयदशमी हजारों सालों से लोग धूमधाम से मानते आ रहे हैं ।इस दिन लोग रावण के बड़े -बड़े पुतलों का दहन करते हैं ।इस धूमधाम में यह संदेश पीछे छूट जाता है कि रावण दहन से हम क्या सीखें।रावण दहन प्रतीक है, अपने अंदर के बुराइ जलाने का ,जो हम सभी में लालच, ईष्र्या,काम,क्रोध के रूप में भरे हैं ।