लव का संग्रहालय..सत्यदेव कुमार

लव का संग्रहालय

पहली नजर ,पहली धधक।

पहला प्यार ,बेशुमार ।

उसे पाने की ललक ।

सब कुछ लुटाने की ठसक ।

समय बीते बचा गया है।

बस कुछ यादें और हाय मेरी नासमझ ।


वो फूल, वो गली ।

मेरे  हाथों में उसके हाथ।

वो पहली चुंबन,और आलिंगन।

बच गया है काश न मिले होते ।


लव का संग्रहालय

जिंदगी भर छुपाए रखना ,

प्यार भरा दर्द और कुछ यादें ।

जिसे न देखे कोई, न पूछे कोई ।

घुट-घुट कर जीना ,पहला प्यार -बेशुमार।


सत्यदेव कुमार 

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सत्यदेव कुमार

Journalism student iimc delhi ,thinker ,love with poetry and political science,master in poltical science ,delhi university