व्यक्ति जिंदगी में सब सुखों की कल्पना करता है।यह सुख प्राप्त होते हैं ,उनके काम द्वारा प्राप्त पैसे से।पैसा और काम का संबंध प्रेम का है।जितना व्यक्ति अपने काम से प्रेम करता है। उतना वह पैसे अर्जित करता है।हां आप कहेंगे मजदूर धनवान क्यों नहीं हो जाते? यह प्रश्न में हीं उत्तर है यानि की योग्यता के अनुसार धन की वृद्धि होती है।एक मजदूर भी काम से प्रेम करते हुए अपने धन में वृद्धि करता है।काम का चयन हीं व्यक्ति की जिंदगी के सुखों की सार है। जब काम का चयन करना हो तो हम दो तरह से करते हैं। एक किसी के प्रभाव में दूसरे जिंदगी की स्थिति के दबाव में ,काम का चयन प्रभाव में हो तो आनंद आता है। परंतु दबाव में हो तो थोड़ी चिढ़ होती है।
परंतु दोनों स्थिति पैसे के लिए होते हैं। जिंदगी में ये दो चीजें जिसके पास है ।वह सुखी है।अगर नहीं तो कम- कम से कम जीने की योग्यता उसमें है। किसी व्यक्ति से आप पूछे आप ,अपने काम से खुश हैं ।जिनका चयन खुशी से भी किया हो, वह खुश नहीं है।वजह उनकी महत्वाकांक्षा है या काम में मजा नहीं आना ।
दूसरी और जो व्यक्ति मजबूरी में किया है। वह काम में मजे ढूंढ लिए हो ,तो जिंदगी आसन लगती है। काम और पैसे, पति-पत्नी वाली जोड़ी की तरह है ।रोज झगड़ा और मनमुटाव फिर भी प्रेम से साथ रहते हैं। मैंअक्सर अपने आसपास से लोगों से पूछ लेता हूं । आपका कितना वेतन है ?वह अच्छे वेतन में है तो भी मुंह बना लेते हैं।
दूसरी तरफ जिनका वेतन कम है, समझो आप ने उन्हें तमाचा मार दिया है ।शिकायत करते हुए कहते हैं ,आप बताएं इतनी महंगाई में नमक तेल खरीदना मुश्किल हो रहा है ।जो सच्चाई भी है ।परंतु रोज वही काम करते हैं काम को कोसते हैं ,पैसा मिलता है। किसी तरह से निर्वाह करते हैं। जिंदगी जीते रहते हैं । काम और पैसे का खेल चलता रहता है।
Write a comment ...