सबसे बड़ा पाप गरीबी है ।

एक सवाल हमेशा मौजूद है, सबसे बड़ा पाप क्या है।लोगों का जवाब अलग-अलग है ,जैसे कई मानते हैं  किसी दूसरे व्यक्ति के स्त्री की चाह रखना, पाप है।परंतु यह एक पाप नहीं महापाप है ।लेकिन “गरीबी” वर्तमान दुनिया में सबसे बड़ा पाप है।

हम गरीबों को पैमाना से मापते हैं, फिर तय करते हैं। यह लोग गरीब हैं ,महीने में कितना कम या ज्यादा कमाते हैं ।इसमें मध्यम वर्ग अपने आप को गरीब नहीं मानता ,उन्हें लगता है हमारी सारी ज़रूरतें पूरी हो रही है। हम गरीब नहीं है।

परंतु आप ब्रांडेड कपड़े पहनना, थोड़ा अच्छा खाना -खाने को आप अमीरी समझते हैं, तो आप भ्रम में जी रहे हैं । यह अमीरी का एहसास एक झटके में खत्म हो जाता है। जब अपने बीमार हो जाएं और इलाज के लिए 5 लाख से भी ऊपर की जरूरत हो आप के पास मौजूद नहीं हो।तब इस समय उन्हें पता चलता है कि वह गरीब है ।क्योंकि जब अच्छा इलाज के लिए भी पैसे नहीं है, तो आप अमीर नहीं हो सकते।

 यह भूल में रहना “हमारी जरूरत कम है “इसलिए हमारे जमीर में दम है “यह फिल्म में अमीर द्वारा कहा गया अच्छा डायलॉग हो सकता है।जो गरीब के लिए नहीं है । यह जितने नैतिक सिद्धांत बनाए गए हैं, वह गरीबों के लिए हैं। अमीरों के लिए यह रुपए से किलो के भाव खरीदा जा सकता है।अमीरी अच्छी चीज है।आप गरीब हैं ,आप पापी हैं, पिछले जन्म में कोई जरूर आपने पाप किया है ।अगर आप इस जन्म में भी इस भ्रम में जीते हैं ,हमें अपने जरूरत पूरा करने के लिए कमाना है तो आप पापी हैं।

सोचने वाली बात है ,जब आपके पास पैसे नहीं है।तब पैसे कमाने का विचार आता है, सबसे पहला दरवाजा दिखाई देता है, किसी अमीर के यहां नौकरी कर लो। ईमानदारी से अपने काम को करो, परंतु हर ईमानदार आदमी अमीर नहीं होता ।मेरा कहने का मतलब यह नहीं है कि आप बेईमानी करो लूटो और अमीर बन जाओ।

तिरुवल्लुवर भी कहते हैं  “मैं गरीब हूं यह कहकर किसी पाप काम में लिप्त नहीं होना चाहिए”’ परंतु यह बात उन्होंने अमीरों के लिए नहीं कही। जब एक गरीब व्यक्ति की जरूरत पैसे की हो तो पहले ज्यादातर लोग ईमानदारी चुनते हैं। क्योंकि उन्हें पता है कि बेईमानी करके गरीबी में आटा गिला नहीं कर सकते ।लेकिन जब गरीब आदमी एक समय जिंदगी और मौत के बीच फसता है तो बस सोचता है ,कैसे पैसे कमा लूं।

उस समय व्यक्ति के मन में हर पाप ,नैतिक सिद्धांत, धरी रह जाती है। बस चल पड़ता है गरीबी में पाप से पैसा कमाने ,यही होता है “दुनिया का सबसे बड़ा पाप गरीबी “जो अमीर कब से करते आए हैं। वह भी कर लेता है,और जमाना उसे कहते  रहता है ,ईमानदार था अब पापी हो गया।

जिंदगी के इस कलंक से बचने और मध्यम वर्ग के पास  एक हीं रास्ता है। खूब पैसा कमाओ, गरीब मत रहो ,सोचो मत अमीर हो, तब तक ,जब तक ,तुम्हारे लिए” तुम्हारे परिवार” के लिए “स्वास्थ्य खर्च” आयसी “विदेश घूमने “के लिए काफी पैसे ना हो जाए

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सत्यदेव कुमार

Journalism student iimc delhi ,thinker ,love with poetry and political science,master in poltical science ,delhi university