अक्टूबर का महीना गर्मी को अलविदा कहना शुरू कर देता है। सर्दी की दस्तक से कूलर, पंखों को आराम मिल जाता है , प्राकृतिक रूप से सर्दी के मौसम की खूबसूरती वसंत से कम नहीं होती।आप देखेंगे जहां व्यक्तिगत स्वभाव में बदलाव होता है।वहीं भारतीय बाजार भी खूबसूरत हो जाते हैं।गाँव के खेत -खलिहान की फसलों पर छोटे-छोटे शीत की बूंदे मन मोह लेती है।
जगह-जगह शहरों में मूंगफली की ढेर संख्या बढ़ जाती है। फुटपाथ पर कपड़े हाफ से फुल ,सूती से ऊनी में बदल जाते हैं। शहरों की हवा मंद -सी हो जाती है, इसमें सिगरेट की धुएं तैरने लगता है ,जैसे यह बादल के साथ हँसी- ठिठोली कर रहा हो।
सर्दी में स्वभाव और स्वाद में बढ़ोतरी इसकी खूबसूरती है।लोगों को गरम और ताजा खाना एक दिनचर्या बन जाता है। चाय की चुस्की से शुरू होने वाला दिन, सरसों ,चने की साग ,लिट्टी -चोखे से खत्म होती है।
गांव में सर्दी का एक अलग हीं एहसास होता है।सरसों के फूल खेत का श्रृंगार कर देते हैं। मटर के दाने आलू की नई फसल के साथ घर के खाने में स्वाद बढ़ा देती है। घर की सास -बहू ,ऊनी के गोले से अपने बच्चे पोते के स्वेटर कढ़ाई बड़े प्यार से करती हैं।
लोग दिन की शुरुआत सुबह -सुबह इकट्ठे होकर" "आग सेकाई से शुरू करते हैं ,और यह सिलसिला शाम के जानवरों की बजती घंटी के साथ शांत हो जाती है।
सर्दी गरीबी का भी एहसास कराती है,जहां कुछ लोग ऊपर से नीचे बंद कोट-पेंट से ढक लेते हैं, वहीं दूसरी और लोग ठंड से कपकपाते हुए काटते हैं।लोगों में सोशल मीडिया वाली दयालुता है,कंबल खाने बाँटकर हैशटैग सुख-दुख बाँट लिया,लिखकर शयेर करते हैं । वहीं गांव की सर्दी वाली गरीबी फटी चादर , कड़कड़ाती ठंड में भी एक दो कपड़े पहने व्यक्ति में झांकती नजर आती है।इन सभी में ज्यादा खूबसूरत है, सर्दी की ओस को नहलाते हुए सूर्य की रोशनी है ।
सर्दी की शुभकामनाएं।
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